मोदी सरकार ने जाति आधारित जनगणना को लेकर ऐतिहासिक फैसला लिया है। केंद्र सरकार अब देशभर में होने वाली अगली जनगणना के साथ-साथ जातिगत जनगणना भी कराएगी। यह फैसला हाल ही में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिया गया है।
कैबिनेट के इस बड़े फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया, “राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने तय किया है कि अब जातिगत आंकड़े भी मुख्य जनगणना प्रक्रिया का हिस्सा होंगे।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस कदम से समाज की सामाजिक और आर्थिक मजबूती सुनिश्चित की जा सकेगी।
कांग्रेस पर लगाया आरोप
अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस पार्टी और उनके गठबंधन सहयोगियों पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा जातिगत जनगणना का विरोध किया है। उन्होंने बताया कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में जाति जनगणना का आश्वासन दिया था, लेकिन उसे सिर्फ औपचारिकता तक सीमित रखा गया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “कांग्रेस ने केवल एक सीमित सर्वे करवा कर जनता को गुमराह किया। उन्होंने जाति जनगणना को कभी गंभीरता से नहीं लिया और केवल राजनीति के लिए इस्तेमाल किया।”
संविधान के तहत केंद्र का अधिकार
वैष्णव ने यह भी बताया कि जनगणना संविधान के अनुच्छेद 246 की केंद्रीय सूची के क्रम संख्या 69 में दर्ज है और यह पूरी तरह केंद्र का विषय है। हालांकि, कुछ राज्यों ने अपने स्तर पर जातिगत सर्वे कराए हैं, लेकिन वे पारदर्शिता की कमी के कारण विवादों में रहे।
उन्होंने कहा, “हमारा प्रयास है कि जाति जनगणना पारदर्शी, वैज्ञानिक और निष्पक्ष तरीके से की जाए, ताकि समाज में किसी प्रकार की भ्रांति न फैले।”
देश के विकास में सहायक
सरकार का मानना है कि इस पहल से समाज के सभी वर्गों की जरूरतों को बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा। इससे नीति निर्धारण में भी मदद मिलेगी और सामाजिक न्याय को मजबूती मिलेगी।