ब्रिटेन सरकार ने 12 मई 2025 को नया इमिग्रेशन व्हाइट पेपर जारी किया, जिसमें वीज़ा, पढ़ाई और स्थायी निवास (सेटलमेंट) से जुड़े नियमों को सख्त कर दिया गया है। इन बदलावों का सबसे बड़ा असर भारतीय नागरिकों पर पड़ने की संभावना है, जो ब्रिटेन में पढ़ने वाले और कुशल कामगार वीज़ा के लिए आवेदन करने वालों में सबसे बड़ी संख्या में हैं।
अब सेटलमेंट के लिए 10 साल का इंतजार और कठिन इंग्लिश टेस्ट
ब्रिटेन में स्थायी निवास पाने की योग्यता की अवधि अब 5 साल से बढ़ाकर 10 साल कर दी गई है। साथ ही, अब इंग्लिश लैंग्वेज की शर्तें और भी ज्यादा लोगों पर लागू होंगी, जिनमें वीज़ा धारकों के डिपेंडेंट्स भी शामिल हैं।
प्रधानमंत्री कीयर स्टारमर ने कहा, “स्किल का स्तर अब डिग्री लेवल तक बढ़ाया गया है, इंग्लिश भाषा की जरूरत हर रूट में अनिवार्य होगी, और अब सेटलमेंट पाने में पहले से ज्यादा समय लगेगा। नियम सख्त होंगे, ताकि न्यायपूर्ण व्यवस्था बनी रहे।”
ग्रेजुएट वीज़ा की अवधि कम हुई
अब तक छात्रों को डिग्री पूरी करने के बाद 2 साल (24 महीने) तक ब्रिटेन में रहने की अनुमति थी। लेकिन नए नियमों के तहत यह अवधि 18 महीने कर दी गई है।
नैशनल इंडियन स्टूडेंट्स एंड एलुमनाई यूनियन (NISAU) की चेयरपर्सन सनम अरोड़ा ने कहा, “हमें खुशी है कि ग्रेजुएट वीज़ा रूट पूरी तरह खत्म नहीं किया गया है, लेकिन इसकी अवधि घटाई गई है। हम सरकार से अपील करते हैं कि ये बदलाव स्पष्टता और सहयोग के साथ लागू किए जाएं।”
NISAU ने यह भी कहा कि छात्रों में घबराहट ना फैले, इसके लिए सरकार को तत्काल यह स्पष्ट करना चाहिए कि यह नियम मौजूदा छात्रों पर लागू होगा या केवल सितंबर 2025 से आने वाले छात्रों पर।
कुशल कामगार वीज़ा रूट और कठिन होगा
अब Skilled Worker Visa के लिए न्यूनतम वेतन की शर्तें और सख्त होंगी। इसके साथ-साथ वीज़ा प्रक्रिया की जांच भी कठोर होगी।
ग्रैडिंग.कॉम की संस्थापक ममता शेखावत ने कहा, “अब यूके में परमानेंट रेजिडेंसी पाना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है। केवल वही छात्र यहां रुक पाएंगे, जो अर्थव्यवस्था या समाज के लिए खास योगदान दे सकें।”
उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे टेस्ट प्रिपरेशन, स्किल डेवलपमेंट और अकैडमिक परफॉर्मेंस पर खास ध्यान दें।
हेल्थ और केयर वीज़ा पूरी तरह बंद
सबसे विवादास्पद बदलावों में से एक है Health and Social Care Worker वीज़ा का पूरी तरह बंद होना। वर्ष 2023 में इस वीज़ा के तहत लगभग 1.4 लाख वीज़ा जारी किए गए थे, जिनमें 39,000 भारतीयों को वीज़ा मिला था।
UK Work Rights Centre की CEO डॉ. डोरा-ओलिविया विकोल ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा, “यह योजना पहले ही असफल रही है और हजारों माइग्रेंट केयर वर्कर्स अब बेहद संकट में हैं। सरकार को उनके लिए लचीलापन और विकल्प देने की जरूरत है, न कि और अधिक कठोरता।”
उन्होंने यह भी कहा कि सेटलमेंट की अवधि बढ़ाने से अनडॉक्युमेंटेड माइग्रेंट्स की संख्या भी बढ़ सकती है।
भारतीय छात्र सबसे ज्यादा प्रभावित
ब्रिटेन में फिलहाल 1.36 लाख से अधिक भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। 2022-23 में यह संख्या 39% बढ़ी थी, जिससे भारत अब यूके में सबसे बड़ा Non-EU Student Source बन चुका है – चीन को भी पीछे छोड़ते हुए।