भारत की तरक्की से घबराया चीन: मैन्युफैक्चरिंग और खेती में लगाने चाहता है ब्रेक
भारत की वैश्विक स्तर पर बढ़ती आर्थिक पकड़ अब चीन को खटकने लगी है। दुनिया की सप्लाई चेन में चीन का एकाधिकार कमजोर पड़ रहा है और भारत उसकी जगह मजबूती से भरता जा रहा है। यही वजह है कि चीन अब भारत के दो प्रमुख क्षेत्रों — मैन्युफैक्चरिंग और कृषि — की रफ्तार धीमी करने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रहा है।
मैन्युफैक्चरिंग में भारत की छलांग से डरा चीन
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भारत ने बीते कुछ वर्षों में ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा जैसे सेक्टरों में अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को कई गुना बढ़ाया है।
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भारत अब रेयर अर्थ मैग्नेट जैसे महत्वपूर्ण कच्चे माल पर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ रहा है, जिससे इलेक्ट्रिक व्हीकल और सेमीकंडक्टर निर्माण को बल मिल रहा है।
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चीन ने मई 2024 में भारत को रेयर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति पर रोक लगा दी, जबकि अन्य देशों को सप्लाई जारी रखी गई।
अमेरिका में भारत बना स्मार्टफोन एक्सपोर्ट का नया किंग
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अमेरिका में एप्पल स्मार्टफोन्स के आयात में भारत की हिस्सेदारी 2024 में 57% तक पहुंच गई, जबकि चीन की हिस्सेदारी घटकर 27% रह गई।
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2019 में अमेरिका में भारत का कुल निर्यात $54 अरब था, जो 2024 में बढ़कर $90 अरब तक पहुंच चुका है।
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वहीं, चीन से अमेरिका को निर्यात 34% गिरा, जबकि भारत का निर्यात 17% बढ़ा।
कृषि क्षेत्र में भी भारत की प्रगति पर आंखें तरेर रहा चीन
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भारत का कृषि निर्यात 2019-20 में $35 अरब से बढ़कर 2024-25 में $51 अरब हो गया है।
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फल और सब्जियों की बढ़ती पैदावार और निर्यात से भारत ग्लोबल फूड सप्लाई चेन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगा है।
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चीन ने अब उन खादों की सप्लाई पर भी रोक लगा दी है जिनका इस्तेमाल भारतीय किसान पैदावार बढ़ाने में करते हैं।
ड्रैगन की रणनीति: भारत को हर मोर्चे पर धीमा करना
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विशेषज्ञों के मुताबिक, चीन भारत के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ते कदमों को रोकना चाहता है।
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भारत के तेजी से उभरते सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में चीन के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है।
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इसी कारण चीन आपूर्ति रोककर भारत को दबाव में लाने की कोशिश कर रहा है।